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9 Forms of Devi & 10 Mahavidyas of Devi: The Divine Essence of Durga Puja

9 Forms of Devi & 10 Mahavidyas of Devi: The Divine Essence of Durga Puja Durga Puja is one of the most celebrated festivals in India, especially in West Bengal, Odisha, Assam, and other parts of the country. Beyond being a cultural extravaganza, it is deeply rooted in Shakti worship —the reverence of the Supreme Mother Goddess. Two significant traditions of this worship are the Navadurga (nine forms of Goddess Durga) and the Dasha Mahavidya (ten great wisdom goddesses) . In this blog, let’s dive into their symbolism, significance, and their role in Durga Puja. The Nine Forms of Devi (Navadurga) During Navaratri , nine divine forms of Goddess Durga are worshipped, each symbolizing a unique aspect of the cosmic feminine power. 1. Shailaputri Meaning: “Daughter of the Mountain” (Himalaya’s daughter). Symbol: Simplicity, strength, and nature’s grounding energy. Mount: Bull (Nandi). Significance: She represents Prakriti (Mother Nature) and is worshipped on th...

DASARATHI SATAKAM

 श्री रघुराम चारुतुल-सीतादलधाम शमक्षमादि शृं

गार गुणाभिराम त्रिज-गन्नुत शौर्य रमाललाम दु
र्वार कबन्धराक्षस वि-राम जगज्जन कल्मषार्नवो
त्तारकनाम! भद्रगिरि-दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 1 ॥

रामविशाल विक्रम पराजित भार्गवराम सद्गुण
स्तोम पराङ्गनाविमुख सुव्रत काम विनील नीरद
श्याम ककुत्ध्सवंश कलशाम्भुधिसोम सुरारिदोर्भलो
द्धाम विराम भद्रगिरि - दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 2 ॥

अगणित सत्यभाष, शरणागतपोष, दयालसज्घरी
विगत समस्तदोष, पृथिवीसुरतोष, त्रिलोक पूतकृ
द्गग नधुनीमरन्द पदकञ्ज विशेष मणिप्रभा धग
द्धगित विभूष भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 3 ॥

रङ्गदरातिभङ्ग, खग राजतुरङ्ग, विपत्परम्परो
त्तुङ्ग तमःपतङ्ग, परि तोषितरङ्ग, दयान्तरङ्ग स
त्सङ्ग धरात्मजा हृदय सारसभृङ्ग निशाचराब्जमा
तङ्ग, शुभाङ्ग, भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिथी. ॥ 4 ॥

श्रीद सनन्दनादि मुनिसेवित पाद दिगन्तकीर्तिसं
पाद समस्तभूत परिपाल विनोद विषाद वल्लि का
च्छेद धराधिनाथकुल सिन्धुसुधामयपाद नृत्तगी
तादि विनोद भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 5 ॥

आर्युल कॆल्ल म्रॊक्किविन ताङ्गुडनै रघुनाध भट्टरा
रार्युल कञ्जलॆत्ति कवि सत्तमुलन् विनुतिञ्चि कार्य सौ
कर्य मॆलर्पनॊक्क शतकम्बॊन गूर्चि रचिन्तुनेडुता
त्पर्यमुनन् ग्रहिम्पुमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 6 ॥

मसकॊनि रेङ्गुबण्ड्लुकुनु मौक्तिकमुल् वॆलवोसिनट्लुदु
र्व्यसनमुजॆन्दि काव्यमु दुरात्मुलकिच्चितिमोस मय्यॆ ना
रसनकुँ बूतवृत्तिसुक रम्बुग जेकुरुनट्लु वाक्सुधा
रसमुलुचिल्क बद्युमुख रङ्गमुनन्दुनटिम्प वय्यसं
तसमु जॆन्दि भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 7 ॥

श्रीरमणीयहार यतसी कुसुमाभशरीर, भक्त मं
दार, विकारदूर, परतत्त्वविहार त्रिलोक चेतनो
दार, दुरन्त पातक वितान विदूर, खरादि दैत्यकां
तार कुठार भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 8 ॥

दुरितलतालवित्र, खर दूषणकाननवीतिहॊत्र, भू
भरणकलाविचित्र, भव बन्धविमोचनसूत्र, चारुवि
स्फुरदरविन्दनेत्र, घन पुण्यचरित्र, विनीलभूरिकं
धरसमगात्र, भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 9 ॥

कनकविशालचेल भवकानन शातकुठारधार स
ज्जनपरिपालशील दिविजस्तुत सद्गुण काण्डकाण्ड सं
जनित पराक्रमक्रम विशारद शारद कन्दकुन्द चं
दन घनसार सारयश दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 10 ॥

श्री रघुवंश तोयधिकि शीतमयूखुडवैन नी पवि
त्रोरुपदाब्जमुल् विकसितोत्पल चम्पक वृत्तमाधुरी
पूरितवाक्प्रसूनमुल बूजलॊनर्चॆद जित्तगिम्पुमी
तारकनाम भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 11 ॥

गुरुतरमैन काव्यरस गुम्भनकब्बुर मन्दिमुष्करुल्
सरसुलमाड्कि सन्तसिल जूलुदुरोटुशशाङ्क चन्द्रिकां
कुरमुल किन्दु कान्तमणि कोटिस्रविञ्चिन भङ्गिविन्ध्यभू
धरमुन जाऱुने शिललु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 12 ॥

तरणिकुलेश नानुडुल दप्पुलु गल्गिन नीदुनाम स
द्विरचितमैन काव्यमु पवित्रमुगादॆ वियन्नदीजलं
बरगुचुवङ्कयैन मलिनाकृति बाऱिन दन्महत्वमुं
दरमॆ गणिम्प नॆव्वरिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 13 ॥

दारुणपात काब्धिकि सदा बडबाग्नि भवाकुलार्तिवि
स्तारदवानलार्चिकि सुधारसवृष्टि दुरन्त दुर्मता
चारभयङ्क राटविकि जण्डकठोरकुठारधार नी
तारकनाम मॆन्नुकॊन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 14 ॥

हरुनकु नव्विभीषणुनक द्रिजकुं दिरुमन्त्र राजमै
करिकि सहल्यकुं द्रुपदकन्यकु नार्तिहरिञ्चुचुट्टमै
परगिनयट्टि नीपतित पावननाममु जिह्वपै निरं
तरमु नटिम्पजेयुमिक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 15 ॥

मुप्पुन गालकिङ्करुलु मुङ्गिटवच्चिन वेल, रोगमुल्
गॊप्परमैनचो गफमु कुत्तुक निण्डिनवेल, बान्धवुल्
गप्पिनवेल, मीस्मरण गल्गुनॊ गल्गदॊ नाटि किप्पुडे
तप्पकचेतु मीभजन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 16 ॥

परमदयानिधे पतितपावननाम हरे यटञ्चु सु
स्धिरमतुलै सदाभजन सेयु महात्मुल पादधूलि ना
शिरमुनदाल्तुमीरटकु जेरकुडञ्चु यमुण्डु किङ्करो
त्करमुल कान बॆट्टुनट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 17 ॥

अजुनकु तण्ड्रिवय्यु सनकादुलकुं बरतत्त्वमय्युस
द्द्विजमुनिकोटिकॆल्लबर देतवय्यु दिनेशवंश भू
भुजुलकु मेटिवय्युबरि पूर्णुडवै वॆलिगॊन्दुपक्षिरा
ड्ध्वजमिमु ब्रस्तुतिञ्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 18 ॥

पण्डित रक्षकुं डखिल पापविमॊचनु डब्जसम्भवा
खण्डल पूजितुण्डु दशकण्ठ विलुण्ठन चण्डकाण्डको
दण्डकला प्रवीणुडवु तावक कीर्ति वधूटि कित्तुपू
दण्डलु गाग ना कवित दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 19 ॥

श्रीरम सीतगाग निजसेवक बृन्दमु वीरवैष्णवा
चार जवम्बुगाग विरजानदि गौतमिगा विकुण्ठ मु
न्नारयभद्र शैलशिखराग्रमुगाग वसिञ्चु चेतनो
द्धारकुडैन विष्णुडवु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 20 ॥

कण्टि नदीतटम्बुबॊडगण्टिनि भद्रनगाधिवासमुन्
गण्टि निलातनूजनुरु कार्मुक मार्गणशङ्खचक्रमुल्
गण्टिनि मिम्मु लक्ष्मणुनि गण्टि कृतार्धुड नैति नो जग
त्कण्टक दैत्यनिर्धलन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 21 ॥

हलिकुनकुन् हलाग्रमुन नर्धमु सेकुरुभङ्गि दप्पिचे
नलमट जॆन्दुवानिकि सुरापगलो जल मब्बिनट्लु दु
र्मलिन मनोविकारियगु मर्त्युनि नन्नॊडगूर्चि नीपयिन्
दलवु घटिम्पजेसितिवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 22 ॥

कॊञ्जकतर्क वादमनु गुद्दलिचे बरतत्त्वभूस्धलिन्
रञ्जिलद्रव्वि कङ्गॊननि रामनिधानमु नेडु भक्तिसि
द्धाञ्जनमन्दुहस्तगत मय्यॆबली यनगा मदीयहृ
त्कञ्जमुनन् वसिम्पुमिक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 23 ॥

रामुँडु घोर पातक विरामुडु सद्गुणकल्पवल्लिका
रामुडु षड्विकारजय रामुडु साधुजनावनव्रतो
द्दामुँडु रामुडे परम दैवमु माकनि मी यडुङ्गु गॆं
दामरले भुजिञ्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 24 ॥

चक्कॆरमानिवेमुदिन जालिनकैवडि मानवाधमुल्
पॆक्कुरु ऒक्क दैवमुल वेमऱुगॊल्चॆदरट्ल कादया
म्रॊक्किननीकु म्रॊक्कवलॆ मोक्ष मॊसङ्गिन नीवयीवलॆं
दक्किनमाट लेमिटिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 25 ॥

'रा' कलुषम्बुलॆल्ल बयलम्बडद्रोचिन 'मा'क वाटमै
डीकॊनिप्रोवुचुनिक्क मनिधीयुतुलॆन्नँददीय वर्णमुल्
गैकॊनि भक्ति चे नुडुवँगानरु गाक विपत्परम्परल्
दाकॊनुने जगज्जनुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 26 ॥

रामहरे ककुत्ध्सकुल रामहरे रघुरामरामश्री
रामहरेयटञ्चु मदि रञ्जिल भेकगलम्बुलील नी
नाममु संस्मरिञ्चिन जनम्बु भवम्बॆडबासि तत्परं
धाम निवासुलौदुरट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 27 ॥

चक्कॆर लप्पकुन् मिगुल जव्वनि कॆञ्जिगुराकु मोविकिं
जॊक्कपुजुण्टि तेनियकु जॊक्कुलुचुङ्गन लेरु गाक ने
डक्कट रामनाममधु रामृतमानुटकण्टॆ सौख्यामा
तक्किनमाधुरी महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 28 ॥

अण्डजवाह निन्नु हृदयम्बुननम्मिन वारि पापमुल्
कॊण्डलवण्टिवैन वॆसगूलि नशिम्पक युन्नॆ सन्त ता
खण्डलवैभवोन्नतुलु गल्गकमानुनॆ मोक्ष लक्ष्मिकै
दण्डयॊसङ्गकुन्नॆ तुद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 29 ॥

चिक्कनिपालपै मिसिमि जॆन्दिन मीगड पञ्चदारतो
मॆक्किनभङ्गि मीविमल मेचकरूप सुधारसम्बु ना
मक्कुव पल्लेरम्बुन समाहित दास्यमु नेटिदो यिटन्
दक्कॆनटञ्चु जुर्रॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 30 ॥

सिरुलिडसीत पीडलॆग जिम्मुटकुन् हनुमन्तुडार्तिसो
दरुडु सुमित्रसूति दुरितम्बुलुमानुप राम नाममुं
गरुणदलिर्प मानवुलगावग बन्निन वज्रपञ्जरो
त्करमुगदा भवन्महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 31 ॥

हलिकुलिशाङ्कुशध्वज शरासन शङ्खरथाङ्ग कल्पको
ज्वलजलजात रेखलनु सांशमुलै कनुपट्टुचुन्न मी
कलितपदाम्बुज द्वयमु गौतमपत्नि कॊसङ्गिनट्लु ना
तलपुन जेर्चिकावगदॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 32 ॥

जलनिधिलोनदूऱि कुल शैलमुमीटि धरित्रिगॊम्मुनं
दलवडमाटिरक्कसुनि यङ्गमुगीटिबलीन्द्रुनिन् रसा
तलमुनमाटि पार्धिवक दम्बमुगूऱ्चिन मेटिराम ना
तलपुननाटि रागदवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 33 ॥

भण्डन भीमुडा र्तजन बान्धवुडुज्ज्वल बाणतूणको
दण्डकलाप्रचण्ड भुज ताण्डवकीर्तिकि राममूर्तिकिन्
रॆण्डव साटिदैवमिक लेडनुचुन् गडगट्टि भेरिका
डाण्ड डडाण्ड डाण्ड निनदम्बु लजाण्डमुनिण्ड मत्तवे
दण्डमु नॆक्कि चाटॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 34 ॥

अवनिज कन्नुदोयि तॊगलन्दु वॆलिङ्गॆडु सोम, जानकी
कुवलयनेत्र गब्बिचनुकॊण्डल नुण्डु घनम्ब मैधिली
नवनव यौवनम्बनु वनम्बुकुन् मददन्ति वीवॆका
दविलि भजिन्तु नॆल्लपुडु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 35 ॥

खरकरवंशजा विनु मुखण्डित भूतपिशाचढाकिनी
ज्वर परितापसर्पभय वारकमैन भवत्पदाब्ज नि
स्पुर दुरुवज्रपञ्जरमुजॊच्चिति, नीयॆड दीन मानवो
ध्धर बिरुदङ्क मेमऱुकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 36 ॥

जुर्रॆदमीक थामृतमु जुर्रॆदमीपदकञ्जतो यमुन्
जुर्रॆद रामनाममुन जॊब्बिलुचुन्न सुधारसम्ब ने
जुर्रॆद जुर्रुजुर्रुँग रुचुल् गनुवारिपदम्बु गूर्पवे
तुर्रुलतोडि पॊत्तिडक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 37 ॥

घोरकृतान्त वीरभट कोटिकि गुण्डॆदिगुल् दरिद्रता
कारपिशाच संहरण कार्यविनोदि विकुण्ठ मन्दिर
द्वार कवाट भेदि निजदास जनावलिकॆल्ल प्रॊद्दु नी
तारकनाम मॆन्नुकॊन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 38 ॥

विन्नपमालकिञ्चु रघुवीर नहिप्रतिलोकमन्दु ना
कन्नदुरात्मुडुं बरम कारुणिकोत्तम वेल्पुलन्दु नी
कन्न महात्मुडुं बतित कल्मषदूरुडु लेडुनाकुवि
द्वन्नुत नीवॆनाकु गति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 39 ॥

पॆम्पुनँदल्लिवै कलुष बृन्दसमागम मॊन्दुकुण्डु र
क्षिम्पनुदण्ड्रिवै मॆयु वसिञ्चुदु शेन्द्रिय रोगमुल् निवा
रिम्पनु वॆज्जवै कृप गुऱिञ्चि परम्बु दिरबुगाँग स
त्सम्पदलीय नीवॆगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 40 ॥

कुक्षिनजाण्डपं क्तुलॊन गूर्चि चराचरजन्तुकोटि सं
रक्षणसेयु तण्ड्रिवि परम्पर नी तनयुण्डनैन ना
पक्षमु नीवुगावलदॆ पापमु लॆन्नि यॊनर्चिनन् जग
द्रक्षक कर्तवीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 41 ॥

गद्दरियो गिहृत्कमल गन्धर सानुभवम्बुँजॆन्दु पॆ
न्निद्दवु गण्डुँ देँटि थरणीसुत कौँगिलिपञ्जरम्बुनन्
मुद्दुलुगुल्कु राचिलुक मुक्तिनिधानमुरामराँगदे
तद्दयु नेँडु नाकडकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 42 ॥

कलियुग मर्त्यकोटिनिनु गङ्गॊन रानिविधम्बो भक्तव
त्सलतवहिम्पवो चटुल सान्द्रविपद्दश वार्धि ग्रुङ्कुचो
बिलिचिन बल्क विन्तमऱपी नरुलिट्लनरादु गाक नी
तलपुन लेदॆ सीत चॆऱ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 43 ॥

जनवर मीक थालि विनसैँपक कर्णमुलन्दु घण्टिका
निनद विनोदमुल् सुलुपुनीचुनकुन् वरमिच्चिनावु नि
न्ननयमुनम्मि कॊल्चिन महात्मुनकेमि यॊसङ्गु दोसनं
दननुत माकॊसङ्गुमय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 44 ॥

पापमु लॊन्दुवेल रणपन्नग भूत भयज्वारादुलन्
दापद नॊन्दुवेल भरताग्रज मिम्मु भजिञ्चुवारिकिन्
ब्रापुग नीवुदम्मु डिरुपक्कियलन् जनि तद्वित्ति सं
तापमु माम्पि कातुरट दाशरथी करुणापयोनिधि. ॥ 45 ॥

अगणित जन्मकर्मदुरि ताम्बुधिलो बहुदुःखवीचिकल्
दॆगिपडवीडलेक जगतीधर नीपदभक्ति नावचे
दगिलि तरिम्पगोरिति बदम्पबडि नदु भयम्भु माम्पवे
तगदनि चित्तमं दिडक दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 46 ॥

नेनॊनरिञ्चु पापमुल नेकमुलैननु नादुजिह्वकुं
बानकमय्यॆमीपरम पावननाममुदॊण्टि चिल्करा
माननुगावुमन्न तुदि माटकु सद्गति जॆन्दॆगावुनन्
दानि धरिम्पगोरॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 47 ॥

परधनमुल् हरिञ्चि परभामलनण्टि परान्न मब्बिनन्
मुरिपम कानिमीँदनगु मोसमॆऱुङ्गदु मानसम्बु
स्तरमदिकालकिङ्कर गदाहति पाल्पडनीक मम्मु नेदु
तऱिदरिजेर्चि काचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 48 ॥

चेसिति घोरकृत्यमुलु चेसिति भागवतापचारमुल्
चेसिति नन्यदैवमुलँ जेरि भजिञ्चिन वारिपॊन्दु नेँ
जेसिन नेरमुल् दलँचि चिक्कुलँबॆट्टकुमय्ययय्य नी
दासुँडनय्य भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 49 ॥

परुल धनम्बुँजूचिपर भामलजूचि हरिम्पगोरु म
द्गुरुतरमानसं बनॆडु दॊङ्गनुबट्टिनिरूढदास्य वि
स्फुरितविवेक पाशमुलँ जुट्टि भवच्चरणम्बने मरु
त्तरुवुनगट्टिवेयग दॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 50 ॥

सललित रामनाम जपसार मॆऱुङ्गनु गाशिकापुरी
निलयुडगानुमीचरण नीरजरेणु महाप्रभावमुं
दॆलियनहल्यगानु जगतीवर नीदगु सत्यवाक्यमुं
दलपग रावणासुरुनि तम्मुडगानु भवद्विलासमुल्
दलचिनुतिम्प नातरमॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 51 ॥

पातकुलैन मीकृपकु बात्रुलु कारॆतलञ्चिचूड ज
ट्रातिकिगल्गॆ बावन मरातिकि राज्यसुखम्बुगल्गॆ दु
र्जातिकि बुण्यमब्बॆगपि जातिमहत्त्वमुनॊन्दॆगावुनं
दातव यॆट्टिवारलकु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 52 ॥

मामक पातक वज्रमु म्राम्पनगण्यमु चित्रगुप्तुले
येमनि व्रातुरो? शमनुडेमि विधिञ्चुनॊ? कालकिङ्कर
स्तोम मॊनर्चिटेमॊ? विनजॊप्पड दिन्तकमुन्नॆदीनचिं
तामणि यॊट्लु गाचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 53 ॥

दासिन चुट्टूमा शबरि? दानि दयामति नेलिनावु; नी
दासुनि दासुडा? गुहुडु तावकदास्य मॊसङ्गिनावु ने
जेसिन पापमो! विनुति चेसिनगाववु गावुमय्य! नी
दासुललोन नेनॊकँड दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 54 ॥

दीक्षवहिञ्चि नाकॊलदि दीनुल नॆन्दऱि गाचितो जग
द्रक्षक तॊल्लिया द्रुपद राजतनूज तलञ्चिनन्तने
यक्षयमैन वल्वलिडि तक्कट नामॊऱजित्तगिञ्चि
प्रत्यक्षमु गाववेमिटिकि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 55 ॥

नीलघनाभमूर्तिवगु निन्नु गनुङ्गॊनिकोरि वेडिनन्
जालमुसेसि डागॆदवु संस्तुति कॆक्किन रामनाम मे
मूलनु दाचुकोगलवु मुक्तिकि ब्रापदि पापमूलकु
द्दालमुगादॆ मायॆडल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 56 ॥

वलदु पराकु भक्तजनवत्सल नी चरितम्बु वम्मुगा
वलदु पराकु नीबिरुदु वज्रमुवण्टिदि गान कूरके
वलदु पराकु नादुरित वार्धिकि दॆप्पवुगा मनम्बुलो
दलतुमॆका निरन्तरमु दाशरथी करुनापयोनिधी. ॥ 57 ॥

तप्पुलॆऱुङ्ग लेक दुरितम्बुलु सेसितिनण्टि नीवुमा
यप्पवुगावु मण्टि निकनन्युलकुन् नुदुरण्टनण्टिनी
कॊप्पिदमैन दासजनु लॊप्पिन बण्टुकु बटवण्टि ना
तप्पुल कॆल्ल नीवॆगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 58 ॥

इतडु दुरात्मुडञ्चुजनु लॆन्नँग नाऱडिँगॊण्टिनेनॆपो
पतितुँड नण्टिनो पतित पावनमूर्तिवि नीवुगल्ल ने
नितिरुल वेँडनण्टि निह मिच्चिननिम्मुपरम्बॊसङ्गुमी
यतुलित रामनाम मधु राक्षर पालिनिरन्तरं बहृ
द्गतमनि नम्मिकॊल्चॆदनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 59 ॥

अञ्चितमैननीदु करुणामृतसारमु नादुपैनि ब्रो
क्षिञ्चिन जालुदाननिर सिञ्चॆदनादुरितम्बु लॆल्लदू
लिञ्चॆद वैरिवर्ग मॆडलिञ्चॆद गोर्कुलनीदुबण्टनै
दञ्चॆद, गालकिङ्करुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 60 ॥

जलनिधु लेडुनॊक्क मॊगिँ जक्किकिदॆच्चॆशरम्बु, ऱातिनिं
पलरँग जेसॆनातिगँब दाब्जपरागमु, नी चरित्रमुं
जलजभवादि निर्जरुलु सन्नुति सेयँग लेरु गावुनं
दलपनगण्यमय्य यिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 61 ॥

कोतिकिशक्यमा यसुरकोटुल गॆल्वनु गाल्चॆबो निजं
बातनिमेन शीतकरुडौट दवानलु डॆट्टिविन्त? मा
सीतपतिव्रता महिमसेवकु भाग्यमुमीकटाक्षमु
धातकु शक्यमा पॊगड दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 62 ॥

भूपललाम रामरघुपुङ्गवराम त्रिलोक राज्य सं
स्धापनराम मोक्षफल दायक राम मदीय पापमुल्
पापगदय्यराम निनु ब्रस्तुति चेसॆदनय्यराम सी
तापतिराम भद्रगिरि दासरथी करुणापयोनिधी. ॥ 63 ॥

नीसहजम्बु सात्विकमु नीविडिपट्टु सुधापयोधि, प
द्मासनुडात्मजुण्डु, गमलालयनी प्रियुरालु नीकु सिं
हासनमिद्धरित्रि; गॊडुगाक समक्षुलु चन्द्रबास्करुल्
नीसुमतल्पमादिफणि नीवॆ समस्तमु गॊल्चिनट्टि नी
दासुल भाग्यमॆट्टिदय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 64 ॥

चरणमु सोकिनट्टि शिलजव्वनिरूपगु टॊक्कविन्त, सु
स्धिरमुग नीटिपै गिरुलु देलिन दॊक्कटि विन्तगानि मी
स्मरण दनर्चुमानवुलु सद्गति जॆन्दिन दॆन्तविन्त? यी
धरनु धरात्मजारमण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 65 ॥

दैवमु तल्लिदण्ड्रितगु दात गुरुण्डु सखुण्डु निन्नॆ का
भावन सेयुचुन्नतऱि पापमुलॆल्ल मनोविकार दु
र्भावितुजेयुचुन्नविकृपामतिवैननु कावुमी जग
त्पावनमूर्ति भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 66 ॥

वासव राज्यभोग सुख वार्धिनि देलु प्रभुत्वमब्बिना
यासकुमेर लेदु कनकाद्रिसमान धनम्बुगूर्चिनं
गासुनु वॆण्टरादु कनि कानक चेसिन पुण्यपापमुल्
वीसरबोव नीवु पदिवेलकु जालु भवम्बुनॊल्ल नी
दासुनिगाग नेलुकॊनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 67 ॥

सूरिजनुल् दयापरुलु सूनृतवादु ललुब्धमानवुल्
वेरपतिप्रताङ्गनलु विप्रुलु गोवुलु वेदमुल् महा
भारमुदाल्पगा जनुलु पावनमैन परोपकार स
त्कार मॆऱुङ्गुले रकट दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 68 ॥

वारिचरावतारमु वारिधिलो जॊऱबाऱि क्रोध वि
स्तारगुडैन या निगमतस्करवीर निशाचरेन्द्रुनिं
जेरि वधिञ्चि वेदमुल चिक्कॆडलिञ्चि विरिञ्चिकि महो
दारतनिच्चितीवॆगद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 69 ॥

करमनुर क्तिमन्दरमु गव्वमुगा नहिराजुद्राडुगा
दॊरकॊन देवदानवुलु दुग्धपयोधिमथिञ्चुचुन्नचो
धरणिचलिम्पलोकमुलु तल्लडमन्दग गूर्ममै धरा
धरमु धरिञ्चितीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 70 ॥

धारुणि जापजुट्टिन विधम्बुनगैकॊनि हेमनेत्रुड
व्वारिधिलोनदागिननु वानिवधिञ्चि वराहमूर्तिवै
धारुणिदॊण्टिकै वडिनि दक्षिणशृङ्गमुन धरिञ्चि वि
स्तार मॊनर्चितीवे कद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 71 ॥

पॆटपॆटनुक्कु कम्बमुन भीकरदन्त नखान्तर प्रभा
पटलमु गप्प नुप्पतिलि भण्डनवीधि नृसिंहभीकर
स्फुटपटुशक्ति हेमकशिपु विदलिञ्चि सुरारिपट्टि नं
तटगृपजूचितीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 72 ॥

पदयुगलम्बु भूगगन भागमुल वॆसनूनि विक्रमा
स्पदमगुनब्बलीन्द्रुनॊक पादमुनन्दल क्रिन्दनॊत्तिमे
लॊदवजगत्त्रयम्बु बुरु हूतुनिकिय्यवटुण्डवैनचि
त्सदमलमूर्ति वीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 73 ॥

इरुवदियॊक्कमाऱु धरणीशुल नॆल्लवधिञ्चि तत्कले
बर रुधिर प्रवाहमुन बैतृकतर्पण मॊप्पजेसि भू
सुरवरकोटिकि मुदमु सॊप्पड भार्गवराममूर्तिवै
धरणिनॊसङ्गिती वॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 74 ॥

दुरमुन दाटकन्दुनिमि धूर्जटिविल् दुनुमाडिसीतनुं
बरिणयमन्दि तण्ड्रिपनुप घन काननभूमि केगि दु
स्तरपटुचण्ड काण्डकुलिशाहति रावणकुम्भकर्ण भू
धरमुल गूल्चिती वॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 75 ॥

अनुपमयादवान्वयसु धाब्धिसुधानिधि कृष्णमूर्तिनी
कनुजुडुगाजनिञ्चि कुजनावलिनॆल्ल नडञ्चि रोहिणी
तनयुडनङ्ग बाहुबल दर्पमुन बलराम मूर्तिवै
तनरिन वेल्पवीवॆकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 76 ॥

सुरलुनुतिम्पगा द्रिपुर सुन्दरुल वरियिम्पबुद्धरू
परयग दाल्चितीवु त्रिपुरासुरकोटि दहिञ्चुनप्पुडा
हरुनकुदोडुगा वरश रासन बाणमुखो ग्रसाधनो
त्कर मॊनरिञ्चितीवुकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 77 ॥

सङ्करदुर्गमै दुरित सङ्कुलमैन जगम्बुजूचि स
र्वङ्कषलील नु त्तम तुरङ्गमुनॆक्कि करासिबूनि वी
राङ्कविलास मॊप्प गलि काकृत सज्जनकोटिकि निरा
तङ्क मॊनर्चितीवुकद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 78 ॥

मनमुननूहपोषणलु मर्वकमुन्नॆ कफादिरोगमुल्
दनुवुननण्टि मेनिबिगि दप्पकमुन्नॆनरुण्डु मोक्ष सा
धन मॊनरिम्पँगावलयुँ दत्त्वविचारमु मानियुण्डुट
ल्तनुवुनकु विरोधमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 79 ॥

मुदमुन काटपट्टुभव मोहमद्व दिरदाङ्कुशम्बु सं
पदल कॊटारु कोरिकल पण्ट परम्बुन कादि वैरुल
न्नदन जयिञ्चुत्रोव विपदब्धिकिनावगदा सदाभव
त्सदमलनामसंस्मरण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 80 ॥

दुरित लतानुसार भय दुःख कदम्बमु रामनामभी
करतल हेतिचेँ दॆगि वकावकलै चनकुण्ड नेर्चुने
दरिकॊनि मण्डुचुण्डु शिख दार्कॊनिन शलबादिकीटको
त्करमु विलीनमैचनवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 81 ॥

हरिपदभक्तिनिन्द्रियज यान्वितुडुत्तमुँडिन्द्रिमम्बुलन्
मरुगक निल्पनूदिननु मध्यमुँडिन्द्रियपारश्युडै
परगिनचो निकृष्टुडनि पल्कग दुर्मतिनैन नन्नु ना
दरमुन नॆट्लुकाचॆदवॊ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 82 ॥

वनकरिचिक्कु मैनसकु पाचविकिं जॆडिपोयॆ मीनुता
विनिकिकिँजिक्कॆँजिल्वगनु वेँदुऱुँ जॆन्दॆनु लेल्लु ताविलो
मनिकिनशिञ्चॆ देटितर मायिरुमूँटिनि गॆल्वनै दुसा
धनमुलनी वॆ कावनगु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 83 ॥

करमुलुमीकुम्रॊक्कुलिड कन्नुलु मिम्मुनॆ चूड जिह्व मी
स्मरणदनर्पवीनुलुभ वत्कथलन् विनुचुण्डनास मी
यऱुतुनु बॆट्टुपूसरुल कासगॊनं बरमार्थ साधनो
त्करमिदि चेयवेकृपनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 84 ॥

चिरतरभक्ति नॊक्कतुलसीदल मर्पण चेयुवाडु खे
चरगरु डोरग प्रमुख सङ्घमुलो वॆलुगन् सधा भवत्
सुरुचिर धीन्द पादमुल बूजलॊनर्चिन वारिकॆल्लद
त्पर मरचेतिधात्रिगद दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 85 ॥

भानुडु तूर्पुनन्दुगनु पुट्टिनँ बावक चन्द्र तेजमुल्
हीनत जॆन्दिनट्लु जगदेक विराजितमैन नी पद
ध्यानमु चेयुचुन्नँ बर दैवमरीचुलडङ्गकुण्डु ने
दानव गर्व निर्दलन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 86 ॥

नीमहनीयतत्त्व रस निर्ण यबोध कथामृताब्धिलो
दामुनुग्रुङ्कुलाडकवृ थातनुकष्टमुजॆन्दि मानवुं
डी महिलोकतीर्थमुल नॆल्ल मुनिङ्गिन दुर्विकार हृ
तामसपङ्कमुल् विदुनॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 87 ॥

नीमहनीयतत्त्व रस निर्ण यबोध कथामृताब्धिलो
दामुनुग्रुङ्कुलाडकवृ थातनुकष्टमुजॆन्दि मानवुं
डी महिलोकतीर्थमुल नॆल्ल मुनिङ्गिन दुर्विकार हृ
तामसपङ्कमुल् विदुनॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 88 ॥

काञ्चन वस्तुसङ्कलित कल्मष मग्नि पुटम्बु बॆट्टॆवा
रिञ्चिनरीति नात्मनिगिडिञ्चिन दुष्कर दुर्मलत्रयं
बञ्चित भ क्तियोग दह नार्चिँदगुल्पक पायुने कन
त्काञ्चनकुण्डलाभरण दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 89 ॥

नीसति पॆक्कु गल्मुलिडनेर्पिरि, लोक मकल्मषम्बुगा
नीसुत सेयु पावनमु निर्मित कार्यधुरीण दक्षुडै
नीसुतुडिच्चु नायुवुलु निन्न भुजिञ्चिनँ गल्गकुण्डुने
दासुलकीप्सि तार्थमुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 90 ॥

वारिजपत्रमन्दिडिन वारिविधम्बुन वर्तनीयमं
दारय रॊम्पिलोन दनु वण्टनि कुम्मरपुर्वुरीति सं
सारमुन मॆलङ्गुचु विचारडैपरमॊन्दुगादॆस
त्कार मॆऱिङ्गि मानवुडु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 91 ॥

ऎक्कडि तल्लिदण्ड्रि सुतुलॆक्कडि वारु कलत्र बान्धवं
बॆक्कड जीवुँडॆट्टि तनु वॆत्तिन बुट्टुनु बोवुचुन्न वा
डॊक्कडॆपाप पुणय फल मॊन्दिन नॊक्कडॆ कानराडुवे
ऱॊक्कडु वॆण्टनण्टिभव मॊल्लनयाकृप जूडुवय्यनी
टक्करि मायलन्दिडक दाशरथी करुणा पयोनिधी. ॥ 92 ॥

दॊरसिनकायमुल्मुदिमि तोचिनँजूचिप्रभुत्वमुल्सिरु
ल्मॆऱपुलुगागजूचिमऱि मेदिनिलोँदमतोडिवारुमुं
दरुगुटजूचिचूचि तॆगु नायुवॆऱुङ्गक मोहपाशमु
लरुगनिवारिकेमिगति दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 93 ॥

सिरिगलनाँडु मैमऱचि चिक्किननाँडुदलञ्चि पुण्यमुल्
पॊरिँबॊरि सेयनैतिननि पॊक्किनँ गल्गु नॆगालिचिच्चुपैँ
गॆरलिन वेलँदप्पिकॊनि कीड्पडु वेल जलम्बु गोरि त
त्तरमुनँ द्रव्विनं गलदॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 94 ॥

जीवनमिङ्कँ बङ्कमुन जिक्किन मीनु चलिम्पकॆन्तयु
दावुननिल्चि जीवनमॆ दद्दयुँ गोरुविधम्बु चॊप्पडं
दावलमैनँगानि गुऱि तप्पनिवाँडु तरिञ्चुवाँडया
तावकभक्तियो गमुन दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 95 ॥

सरसुनिमानसम्बु सर सज्ञुडॆरुङ्गुनु मुष्कराधमुं
डॆऱिँगिग्रहिञ्चुवाडॆ कॊल नेकनिसमुँ गागदुर्दुरं
बरयँग नेर्चुनॆट्लु विक चाब्दमरन्द रसैक सौरभो
त्करमुमिलिन्द मॊन्दुक्रिय दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 96 ॥

नोँचिनतल्लिदण्ड्रिकिँ दनूभवुँडॊक्कडॆचालु मेटिचे
चाँचनिवाडु वेऱॊकँडु चाचिन लेदन किच्चुवाँडुनो
राँचिनिजम्बकानि पलु काडनिवाँडु रणम्बुलोन मेन्
दाचनिवाँडु भद्रगिरि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 97 ॥

श्रीयुतजानकीरमण चिन्नयरूप रमेशराम ना
रायण पाहिपाहियनि ब्रस्तुतिँ जेसिति नामनम्बुनं
बायक किल्बिषव्रज वि पाटनमन्दँग जेसि सत्कला
दायि फलम्बुनाकियवॆ दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 98 ॥

ऎन्तटिपुण्यमो शबरि यॆङ्गिलिगॊण्टिवि विन्तगादॆ नी
मन्तन मॆट्टिदो युडुत मैनिक राग्र नखाङ्कुरम्बुलन्
सन्तसमन्दँ जेसितिवि सत्कुलजन्ममु लेमि लॆक्क वे
दान्तमुगादॆ नी महिम दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 99 ॥

बॊङ्कनिवाँडॆयोग्युडरि बृन्दमु लॆत्तिन चोटजिव्वकुं
जङ्कनिवाँडॆजोदु रभसम्बुन नर्थि करम्बुसाँचिनं
गॊङ्कनिवाँडॆदात मिमुँ गॊल्चिभजिञ्चिन वाँडॆ पोनिरा
तङ्क मनस्कुँ डॆन्न गनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 100 ॥

भ्रमरमुगीटकम्बुँ गॊनि पाल्पडि झाङ्करणो कारियै
भ्रमरमुगानॊनर्चुननि पल्कुटँ जेसि भवादि दुःखसं
तमसमॆडल्चि भक्तिसहि तम्बुग जीवुनि विश्वरूप त
त्त्वमुनधरिञ्चु टेमरुदु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 101 ॥

तरुवुलु पूचिकायलगु दक्कुसुमम्बुलु पूजगाभव
च्चरणमु सोकिदासुलकु सारमुलो धनधान्यराशुलै
करिभट घोटकाम्बर नकायमुलै विरजा समु
त्तरण मॊनर्चुजित्रमिदि दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 102 ॥

पट्टितिभट्टरार्यगुरु पादमुलिम्मॆयिनूर्ध्व पुण्ड्रमुल्
वॆट्टितिमन्त्रराज मॊडि बॆट्टिति नय्यमकिङ्क रालिकिं
गट्टितिबॊम्ममीचरण कञ्जलन्दुँ दलम्पुपॆट्टि बो
दट्टितिँ बापपुञ्जमुल दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 103 ॥

अल्लन लिङ्गमन्त्रि सुतुडत्रिज गोत्रजुडादिशाख कं
चॆर्ल कुलोद्बवुं दम्ब्रसिद्धिडनै भवदङ्कितम्बुगा
नॆल्लकवुल् नुतिम्प रचियिञ्चिति गोपकवीन्द्रुडन् जग
द्वल्लभ नीकु दासुडनु दाशरथी करुणापयोनिधी. ॥ 104 ॥

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